मुंबई tyohartop.com|हमारे देश हर दिन कोई न कोई अस्पतालों के गलत इलाज, मनमाना पैसे लेना,अपने अस्पताल में ही बने मेडिकल स्टोर से दवा लेने के लिए बाध्य करना या जानबूझ कर वही दवा लिखना जो केवल उनके पास ही स्टॉक में हो बाहर न मिले,इससे प्रभावित होता है!अस्पतालों का धन्धा दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है.या कहिये तो दिन दुगुनी रात चौगुनी बढ़ रहा रहा है.और बहुत से लोग जो अस्पतालों के नियम कानून नहीं जानते और अस्पताल द्वारा शोषित होते है.चलिए आज हम आपको बताते है अस्पताल के वे नियम कानून जिससे आप अस्पताल के मनमानी तरीको पर अंकुश लगा सकते है हा एक बात कहना चाहूँगा अगर आप जागरूक हो जाते है और भी लोगो को बताइये इस बारे में जरूर और शेयर भी कीजिये ताकि पूरा इंडिया ही जागरूक हो!
यह है मरीजो के अधिकार जो जानना जरूरी है इमरजेंसी में कोई भी अस्पताल आपको मन नहीं कर सकता,चाहे ओ अस्पताल प्राइवेट हो या सरकारी तत्काल इलाज देने से मना नहीं कर सकता,और खास बात ये की इमरजेंसी में शुरुवात इलाज के लिए अस्पताल मरीजो से तुरंत पैसे नही मग सकता!और किसी भी अस्पताल में मरीज जब इलाज के लिए पैसे देता है तो वह तुरंत उसका कंज्यूमर हो जाता है और वह किसी भी तरह की शिकायत कंज्यूमर कोर्ट में कर सकता है दवाई या इलाज को लेकर अगर कोई शिकायत है तो वह अस्पताल प्रशासन से कर सकता है ड्रग को लेकर भी आप अपने नजदीकी लोकल फ़ूड एंड एडमिनिस्ट्रेशन में इसकी शिकायत की जा सकती है.
मेडिकल रिपोर्ट लेने का अधिकार आपकी जानकारी के लिए हम बता दे किसी भी मरीज़ को या उसके परिवार को ये अधिकार है की वह मरीज की बीमारी से जुड़े हर दस्तावेज की मांग अस्पताल प्रशासन से कर सकता है इन रिकार्ड्स में जो शामिल है ओ है डाक्टर की राय, आल डायग्नोस्टिक टेस्ट जानकारी अस्पताल में भारती हिना आदि शामिल है
खर्च की जानकारी मरीज का ये अधिकार है की मरीज से जुडी सारी जानकारी मरीज को दी जाये,क्योंकि हर मरीज को ये अधिकार है की उसे क्या बीमारी है और कब तक ठीक होने की संभावना है इलाज करने में और कितना खर्चा आयेगा आदि!
सर्जरी से पहले लेनी होगी मंजूरी डाक्टर को मरीज या मरीज के परिजन से सर्जरी से पहले मंजूरी लेना आवश्यक है डाक्टर को भी ये बताना होगा की हम इस बीमारी का सर्जरी कर रहे है
अस्पताल नहीं बताएगा की कौन सी दवा कहा से लेनी है अक्सर देखा जाता है की जिस अस्पताल में आप इलाज कराते है वहा पर जो डाक्टर दवा लिखते है अक्सर कहते है आप दवा अस्पताल के मेडिकल से ले लीजिये,लेकिन इसके लिए अस्पताल आपको बाध्य नहीं कर सकते.. मरीज को बिना उसकी मर्जी के अस्पताल में नहीं रख सकते कई बार बिल न चुकाने की बजह से अस्पताल कई बार मरीज़ को डिस्चार्ज नहीं करता है,बिल अगर पूरा नहीं दिया गया होता है तो अस्पताल लाश को भी नहीं ले जाने देते है अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने गैर कानूनी घोषित कर दिया है अस्पताल को इसे जबरदस्ती रोकने का कोई हक़ नहीं है
कैसे करे कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत कंज्यूमर कोर्ट में शिकायकर्ता एक सादे कागज पर पूरी शिकायत लिख कर दे सकता है साथ में वह कंपनसेशन की माग कर सकता है,बता दे डिस्ट्रिक कंज्यूमर कोर्ट में 20 लाख का,स्टेट कंज्यूमर कोर्ट में 1 करोड़ और नेशनल कंज्यूमर कोर्ट 1 करोड़ से ऊपर का कंपनसेशन दे सकता है